ગૌ કૃષિ વિદ્યા કેન્દ્ર

Gau Krushi Vidhya Kendra

भारतीय समाज प्राचीन काल से ही कृषि और रूषी संस्कृति का पालन करता आ रहा है।  इसीलिए भारतीय ग्रामीण समुदाय कृषि आधारित आजीविका को प्राथमिकता देता है।  जैसे-जैसे आधुनिक समाज कृषि, कृषि से पूंजीवाद की ओर बढ़ा और उत्पादन के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हुआ, भारत में हरित क्रांति के बाद संकर बीजों, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अंधाधुंध उपयोग किया गया, जिसके परिणामस्वरूप मिट्टी की उर्वरता कम हो गई और दीर्घकालिक भारी नुकसान हुआ।  साथ ही कृषि उत्पाद मनुष्यों और जानवरों के लिए अत्यधिक विषैले होते हैं।  इस विकट स्थिति के समाधान के रूप में भारतीय सभ्यता ने वैदिक कृषि प्रणाली के विकल्प की पेशकश की।  माननीय प्रधानमंत्री की संकल्पना है की किसान की आय दुगनी करना एवं समृद्ध और स्वस्थ समाज के निर्माण हेतु स्वच्छ भोजन प्राप्त करना, जैविक खेती एवं गौ संवर्धन के साथ-साथ गाय-आधारित खेती की दिशा में किसानों एवं पेशेवर वर्ग से जुड़ने वाले शिक्षण संस्थान एवं स्वयंसेवी संगठन कृषि और संबद्ध व्यवसाय इस कार्य में शामिल हो गए हैं, सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के अनुसंधान और विस्तार की जिम्मेदारी के तहत सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के अवसर पर, राज्यपाल की उपस्थिति में, विश्वविद्यालय द्वारा कृषि विद्या केंद्र की स्थापना की घोषणा की गई थी। सौराष्ट्र विश्वविद्यालय में दिनांक २०-०१-२०२३ को माननीय कुलाधिपति श्री आचार्य देवव्रतजी के आशीर्वाद से गौ कृषि विद्या केन्द्र का उद्घाटन किया गया।  इस केंद्र की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय स्थित भवन के प्रोफेसर को सौंपी गई है।  इस केन्द्र के संचालन के परिपेक्ष्य में ग्राम सेवक, तालुका कृषि अधिकारी एवं विस्तार अधिकारी के साथ मिलकर प्राकृतिक खेती से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं को संचालित करना, जिसमें जिला कृषि अधिकारी एवं कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रशिक्षण एवं गौ आधारित एवं नवीन गौ आधारित अर्थव्यवस्था को विकसित करने का प्रयास करने की योजना है।  यह केंद्र समय-समय पर ग्रामीण विकास से जुड़ी परियोजनाओं में योगदान देगा।  जिसके आधार पर केंद्र की गतिविधियों का निर्धारण किया जाता है।

Read more...